हिम एक्सप्रेस, ऊना (जितेंद्र कुमार)
हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार को बहाल करने की कवायत में जुटे हैं। इस पर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी राजिन्द्र स्वदेशी ने अपने विचारों को मिडिया से सांझा करते हुए कहा कि गौरतलब है कि हर राज्य के कर्मचारी उसकी रीढ़ की हड्डी होते हैं।
जब रीड की हड्डी मजबूत होगी तभी वह राज्य मजबूत बन पाएगा नहीं तो वह श्रीलंका की तरह बिखर जाएगा। हमारे देश में भी वर्तमान समय में लगभग 15 से 17 राज्यों की स्थिति श्रीलंका जैसी ही है। ये राज्य उधारी पर चल रहे हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हर राज्य को अपने कर्मचारियों की मूलभूत आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे सर्विस (नौकरी) व बुढ़ापे (रिटायरमेन्ट) के दौरान वर्ष 2003 के पहले रखा जाता था। लेकिन 2003 के बाद हमारे राज्य में न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के ऊपर लागू कर दी गई। जिस समय न्यू पेंशन स्कीम को केंद्र सरकार ने लॉन्च किया था। तब इसका बड़े स्तर पर गुणगान किया गया था कि न्यू पेंशन स्कीम में आपके कुछ प्रतिशत वेतनमान की कटौती होगी और आपको बुढ़ापे में एक अच्छी खासी पेंशन राशि प्राप्त होगी जिससे आपका बुढ़ापा सुरक्षित रहेगा अर्थात मोटे शब्दों में कहें तो केंद्र सरकार कह रही थी कि पुरानी पेंशन स्कीम से न्यू पेंशन स्कीम कहीं अधिक अच्छी है।
बिना सोच-विचार किए ही इसे जल्दबाजी में लागू कर दिया गया। जिस कारण हिमाचल प्रदेश में सबसे पहले (भारत) न्यू पेंशन स्कीम को 15 मई 2003 को लागू किया गया। जब धीरे-धीरे समय बीतने लगा और धीरे-धीरे कर्मचारी रिटायर होने लगे तो उन्हें कटौती की कुल राशि का 60% 60 वर्ष के बाद टैक्स काटकर दिया जाने लगा, शेष 40% को एनएसडीएल कंपनी ने 3 विभिन्न कंपनियों में इस राशि को लगाया। इस 40% की राशि पर जो 4% या 5% के हिसाब से ब्याज प्राप्त होता है। वही राशि कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत दी जाती है।
इस न्यू पेंशन स्कीम को मंहगाई भत्ते और वेतन आयोग से अलग रखा है। इनसे न्यू पेंशन स्कीम राशि में कोई भी बढौत्तरी नहीं हो सकती है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों को क्रमशः 527 रूपये से लेकर 5172 रुपये तक मासिक पेंशन प्राप्त होने लगी। इसमें क्लास ए से लेकर जेड तक कर्मचारी सम्मिलित हैं। इतनी कम राशि में रिटायर कर्मचारी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होने लगे जिसके कारण यह कर्मचारी छोटे-मोटे काम धंधे करने लगे जैसे : चाय पकौड़े की दुकान का काम, कबाड़ का काम, सब्जी बेचने का काम, फेरी लगाने का काम इत्यादि। वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने लगे। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि न्यू पेंशन जिस उद्देश्य से लाई गई थी उस उद्देश्य को पूर्ण करने में पूर्ण रूप से असफल रही है।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम कर्मचारी वर्ग संवैधानिक दायरे में रहकर सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते हैं। अगर सरकार पुरानी पेंशन बहाल करती है तो कर्मचारियों के साथ-साथ राज्य सरकार की भी मूलभूत आवश्यकताओं में जो आर्थिक तंगी सामने आ रही है उससे सदा के लिए निजात मिल जाएगी। इसके लिए निम्नलिखित तथ्यों को आपके समक्ष पेश करता हूं।