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शर्मनाक ‘टू फिंगर टेस्ट’ करने वालों की खैर नहीं, नाराज सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

हिम एक्सप्रेस

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टू फिंगर टेस्ट’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अफसोस की बात है कि ‘टू फिंगर टेस्ट’ आज भी किया जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में इस टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है. इस परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि टू फिंगर टेस्ट करने वालों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। ये टेस्ट पीड़ित को फिर से आघात पहुंचाता है.सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों के स्टडी मैटेरियल से इस टेस्ट को हटाने का आदेश देते हुए कहा कि बलात्कार पीड़िता की जांच की अवैज्ञानिक विधि यौन उत्पीड़न वाली महिला को फिर से आघात पहुंचाती है। SC ने HC के बरी करने के आदेश को पलट दिया और बलात्कार हत्या के मामले में व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

क्या था इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

#himachal pradeshलिलु राजेश बनाम हरियाणा राज्य के मामले (2013) में सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने इसे रेप पीड़िता की निजता और उसके सम्मान का हनन करने वाला करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्ट है।यह टेस्ट पॉजिटिव भी आ जाए तो नहीं माना जा सकता है कि संबंध सहमति से बने हैं।

16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप के बाद बनी थी कमेटी

16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी बनाई गई थी। इसने अपनी 657 पेज की रिपोर्ट में कहा था कि टू फिंगर टेस्ट में वजाइना की मांसपेशियों का लचीलापन देखा जाता है। इससे यह पता चलता है कि महिला सेक्सुअली एक्टिव थी या नहीं। इसमें यह समझ नहीं आता कि उसकी रजामंदी से या इसके विपरीत जाकर संबंध बनाए गए। इस वजह से यह बंद होना चाहिए।

बैन के बावजूद होता रहा टेस्ट

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद भी शर्मिंदा वाला यह टू-फिंगर टे करनेस्ट होता रहा है। 2019 में ही करीब 1500 रेप सर्वाइवर्स और उनके परिजनों ने कोर्ट में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद यह टेस्ट हो रहा है। याचिका में टेस्ट को करने वाले डॉक्टरों का लाइसेंस कैंसिल करने की मांग की गई थी। संयुक्त राष्ट्र भी इस टेस्ट को मान्यता नहीं देता है।

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