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जून 2022 तक सड़क से बेसहारा पशु हटाने का लक्ष्य, 17,407 पशुओं को सरकार का सहारा: वीरेंद्र कंवर

22.68 करोड़ रुपए से प्रदेश में बन रही 8 काऊ सैंचरी व 4 बड़े गौसदन

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बेसहारा पशु मुक्त सड़कें बनाने को प्रतिबद्ध
सरकार हर स्तर पर कर रही प्रयास

ब्यूरो चीफ (कुसुमलता)
ऊनाः देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। एक फरवरी 2019 तक जहां 8,248 बेसहारा गौवंश प्रदेश के विभिन्न गौ सदनों में था, वहीं निरंतर प्रयासों से प्रदेश सरकार अब तक 17,407 बेसहारा पशुओं को छत्त प्रदान करने में सफल रही है। प्रदेश सरकार की गणना के मुताबिक अभी भी 13,508 गौवंश सड़क पर लावारिस है, जिसे सहारा देने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं।


मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने जून 2022 तक प्रदेश की सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश की सड़कें सुरक्षित बनें तथा किसान भी बेसहारा पशुओं की समस्या से खेती-बाड़ी छोड़ने को मजबूर न हों, इस दिशा में आधुनिक गौ अभ्यारण्य तथा बड़ी गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। जहां पर बेसहारा पशुओं के लिए बेहतर व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त मौजूदा गौशालाओं की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। बेसहारा पशुओं की समस्या का स्थाई निदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य में विभिन्न स्थानों पर 22.68 करोड़ रुपए की लागत से 8 गौ अभ्यारण्यों तथा 4 बड़े गौसदन बनाने का संकल्प लिया था, जिनमें से तीन गौ-अभ्यारण्य बनकर तैयार हैं।


सिरमौर जिला के कोटला बड़ोग में 1.67 करोड़ रुपए से गौ-अभ्यारण्य बन कर तैयार है, जहां पर 245 गौवंश को आश्रय प्रदान किया गया है। जिला ऊना के थाना खास में भी 2.03 करोड़ रुपए की लागत से बने गौ अभ्यारण्य में 230 बेसहारा पशुओं को रखा गया है। इसके अतिरिक्त सोलन जिला के हांडाकुंडी गौ अभ्यारण्य में 2.97 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार है, जिसमें 502 बेसहारा पशुओं को रखा गया है। इन तीन गौ अभ्यारण्यों में 977 बेजुबानों को सहारा मिल चुका है।
बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए तथा बेसहारा पशुओं की समस्या के निपटारे के लिए जिला कांगड़ा में पांच गौ-अभ्यारण्य निर्माणाधीन हैं। एक करोड़ रुपए की लागत से कुडान में, 3 करोड़ रुपए की लागत से लुथान में, 2.67 करोड़ रुपए की लागत से खब्बल में, 1.87 करोड़ रुपए की लागत से कांगियां में गौ अभ्यारण्य तथा 1.66 करोड़ की लागत से चंबा जिला के मंझीर में बड़े गौ सदन बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसके अतिरिक्त कांगड़ा जिला के मरहून में भी गौ-अभ्यारण्य खोलने के लिए स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। इन छह स्थानों पर 4500 बेसहारा पशुओं को रखने की व्यवस्था की जाएगी।

साथ ही 2.56 करोड़ रुपए की लागत से हमीरपुर जिला के खैरी में, 2.22 करोड़ की लागत से शिमला जिला के सुन्नी में तथा 1 करोड़ की लागत से मंडी जिला के लौंगनी में बड़े गौसदन के निर्माण की प्रक्रिया भी जारी है। इन तीन बड़े गौ सदनों में क्रमशः 800, 500 तथा 350 बेसहारा पशुओं को शरण दी जाएगी। इस प्रकार से कुल 22.68 करोड़ रुपए व्यय कर प्रदेश में 8 काऊ सैंचरी व 4 बड़े गौसदन बन रहे हैं, जो सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को साफ दर्शाता है। प्रदेश सरकार ने 8 गौ अभ्यारण्यों में से तीन बनाकर तैयार कर दिए हैं।

सड़कों पर लगभग 10 हजार बेसहारा पशु

ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, मत्स्य तथा पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि पशु पालन विभाग के माध्यम से करवाए गए सर्वे के आधार पर लगभग 13,508 गौवंश सड़क पर है, जिसे जल्द से जल्द आश्रय प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार मौजदू गौ अभ्यारण्य तथा गौसदनों में 7,127 बेसहारा पशुओं को रखने की व्यवस्था कर रही है। इसके अतिरिक्त पहले से संचालित की जा रही गौशालाओं का भी विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि सभी बेसहारा गौवंश को सड़कों से हटाया जा सके। सरकार ने जून 2022 तक सड़कों से सभी लावारिस पशुओं को हटाने का लक्ष्य रखा है।

गौ सेवा के लिए मिल रही आर्थिक सहायता
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार गौ सेवा करने वालों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है। कम से कम 30 बेसहारा गौवंश को सहारा देने वाले गौसदनों को 500 रुपए प्रति पशु प्रतिमाह की दर से मदद दी जा रही है। आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए गौसदनों को कुछ मापदंड पूरे करने होते हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से पूरे प्रदेश में 12 गौ अभ्यारण्यों तथा 198 गौशालाओं को अगस्त 2020 से अप्रैल 2021 तक 5.76 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद प्रदान की गई है।

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