सत्यदेव बसदेहरा, ऊना
एकादशी की तिथि 20 जून को शाम 04 बजकर 21 मिनट से आरंभ होगी। यह तिथि 21 जून को दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। ( प्रत्येक जगह के सूर्योदय के अनुसार समय इधर-उधर हो सकता है लेकिन होगा 21 जून 2021 सोमवार को ही ) निर्जला एकादशी के पारण का शुभ मुहूर्त 22 जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक है।
बहुत कठिन होता है निर्जला एकादशी
सनातन धर्म में 24 एकादशी होती हैं। ( अधिक मास होने पर उस वर्ष 26 एकादशी होते हैं ) सभी का अपना-अपना महत्व होता है। लेकिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को पड़ने वाली निर्जला एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इस एकादशी में पानी पीना पूर्णतया वर्जित है। यही वजह है कि इस एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी 24 एकादशियों का फल मिल जाता है।
विद्वानों के अनुसार व्रतो करने वाले भक्तजनो को गंगा दशहरा के दिन से ही तामसी भोजन का त्याग कर देना चाहिए। साथ ही लहसुन और प्याज मुक्त भोजन ग्रहण करना चाहिए। उसी दिन संध्या में व्रत का संकल्प लें रात में भूमि पर शयन करें। अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सबसे पहले श्रीहरि का स्मरण करें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें। अब आचमन कर फिर व्रत संकल्प लें। फिर पीला वस्त्र (कपड़े) पहनें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा पीले पुष्प, फल, दूर्वा और चंदन से पूजा करें। फिर ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें।इसके बाद आरती करें। इस दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें लेकिन मन में कोई संशय हो या व्रत संबंधित अन्य जानकारी चाहिए हो तो विद्वानों से भी परामर्श कर लें। द्वादशी के दिन शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें। सबसे पहले भगवान विष्णुजी को भोग लगाएं। भोग में कुछ मीठा जरूर शामिल करें। इसके बाद सबसे पहले भगवान का प्रसाद सबको बांट दें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें। ध्यान रहे, व्रत खोलने के बाद ही आपको जल का सेवन करना है।