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अमबोटा में शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती पर अर्पित की फूल मालाएं

अमबोटा

ऊना, (हरपाल सिंह कोटला)

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ऊना, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की आज जयंती मनाई।इस अवसर पर शहीद भगत सिंह क्लब अमबोटा ने शहीदी स्मारक पर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती पर फूल मालाएं अर्पित की। क्लब के अध्यक्ष जगजीत सिंह ने बताया की राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म उत्तर प्रदेश में 11 जून 1897 के दिन शाहजहांपुर जिले में हुआ था. राम प्रसाद बिस्मिल सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि वे बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे. वे एक शायर, लेखक, इतिहासकार और साहित्यकार भी थे।राम प्रसाद बिस्मिल सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही स्कूली शिक्षा प्राप्त कर पाए, क्योंकि उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब थी।

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उन्होंने बताया की उनके पिता की आय बहुत कम थी और वह शाहजहांपुर नगर पालिका में काम करते थे। इस वजह से परिवार का खर्च भी बहुत से चल पाता था। माता मूलारानी और पिता मुरलीधर के घर जन्मे राम प्रसाद बिस्मिल महज 11 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। छोटी सी उम्र में क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण राम प्रसाद बिस्मिल एक वीर क्रांतिकारी के साथ-साथ बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी बन गए।

राम प्रसाद बिस्मिल पर आर्य समाज का बहुत प्रभाव था और वे स्वामी सोमदेव से बेहद प्रभावित थे. आर्य समाज से प्रेरित होने के बावजूद बिस्मिल हिन्दू-मुस्लिम एकता में काफी विश्वास रखते थे.काकोरी केस के बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। राम प्रसाद बिस्मिल अपने हमवतन अशफाक उल्ला खां के बहुत अच्छे दोस्त थे और उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक उनके साथ दोस्ती निभाई।

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अशफाक उल्ला खां और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश की. अशफाक उल्ला खां राम प्रसाद बिस्मिल के क्रांतिकारी दल का दायां हाथ माने जाते थे।यही वजह है कि आज भी इनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती.मैनपुरी षडयंत्र और काकोरी कांड को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 में फांसी दे दी गई थी। फांसी के समय उनकी उम्र महज 30 साल थी। देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले बिस्मिल ने फांसी का फंदा गले में डालने से पहले भी ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ कविता पढ़ी थी।मातृभूमि के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले इस महान स्वतंत्रता सेनानी को आज भी देश याद करता है।

  • इस अवसर पर क्लब प्रवक्ता मनिष ठाकुर, मोहिंदर सिंह, रणवीर राणा, विक्रम सिंह, मनजीत सिंह, कुलविंदर, अमरतपाल , शम्मी और अन्य क्लब सदस्य मौजूद थे।

 

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