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कोरोना महामारी के संकट में मसीहा बन कर उभरी सोहराब कालिया की टीम

सोहराब कालिया

संकट में हर कोरोना मरीजों एवं जरूरतमन्द की सहायता कर 21 वर्षीय युवा सोहराब की टीम ने किया सबको प्रभावित

दौलतपुर चौक, (पराशर)
कोरोना संकट की दूसरी लहर में बेशक कोविड महामारी में हर कोई बढ़चढ़ कर अपना सहयोग राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर दे रहा है लेकिन एक ऐसा चश्मोचिराग भी है जो अपने नाम के अनुरूप इस परिभाषा को सत्य में तबदील करने में जुटा है और 21 वर्षीय युवा अभी चुनाव लड़ने के लिये बालिग ही नहीं है। जहाँ 21 वर्षीय युवा सोहराब कालिया लगातार समाज के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और युवाओं को टीकाकरण तो बुजुर्गों एवम बुजर्गो सहित एक पीढ़ी को टेस्टिंग के लिए लगातार जागरूक कर रही हैं।

जहां सोहराब कालिया की टीम सभी टेस्टिंग सेंटरों, वैक्सीनशन सेंटरों में पानी उपलब्ध करवा रही है तो वहीं कोरोना मरीज़ों को जरूरतानुसार राशन देना हो या फिर कुछ अति निर्धन परिवारों की आर्थिक सहायता हो टीम हर समय चील चिल्लाति धूप में फील्ड में काम करते देखी जा सकती है और लगभग 35 पंचायतों को राहत सामग्री के साथ साथ सेनिटाइजर एवं मास्क उपलब्ध भी उक्त टीम द्वारा करवाए गये हैं। इस कोरोना महामारी की दूसरी लहर में 21 वर्षीय सोहराब कालिया की टीम के सराहनीय कार्य एक समाज के प्रति निस्वार्थ सेवा की भावना व्यक्त करता है।

सोहराब कालिया की टीम द्वारा किये गए कार्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं और गगरेट विधानसभा क्षेत्र के युवा लगातार उनके साथ सम्पर्क कर सेवा भावना व्यक्त कर रहे है। काबिलेगौर है कि सोहराब कालिया पूर्व विधायक गगरेट एवं पूर्व आल इंडिया कांग्रेस सचिव राकेश कालिया के बेटे हैं और वकालत की पडा करने के साथ साथ वर्तमान में कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के सचिव है और राजनीति उन्हें विरासत में मिली हुई है परंतु भयंकर महामारी में निस्वार्थ भाव से समाज के प्रति अपनी भूमिका निभा रहें है।

इस महामारी में सोहराब कालिया की टीम द्वारा की जा रही सेवा ने रसजनीतिक सुगबुगाहट तो पैदा कर ही दी है और चुनावी पंडितो ने भी इसे राजनीति में एंट्री समझना शुरू कर दिया था परंतु 21 वर्षीय युवा चुनाव लड़ने के लिए अभी बालिग ही नही हुए और सोहराब कालिया की माने तो कोरोना महामारी ने आम आदमी को निचोड़ कर रख दिया था तो उन हालातों को देखते हुए अपनी युवा कांग्रेस की टीम के साथ मिलकर हर मोर्चे पर जनता की सेवा केवल समाज के लिए अपना फ़र्ज़ समझकर की गई है।

उन्होंने रुंधे हुए स्वर में बताया कि जब उनके पिता, बहन और माँ कोरोना पोसिटिव आये तो उस भय, दर्द और बैचेनी को वो महसूस कर चुके है इसलिए हर कोरोना मरीज़ का दर्द बांटने औए उनकी होंसलाफ़ज़ाई करने का निर्णय लिया और कोरोना की दूसरी लहर में लगातार कोरोना मरीज़ों की सहायता की है।

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