ऊना, 5 जून: कुसुम लता, डिस्ट्रिक्ट ब्यूरो चीफ
हिमाचल प्रदेश सरकार में मुख्य सचेतक, पूर्व मंत्री एवं जुब्बल-कोटखाई के भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन हो गया है। वह 69 वर्ष के थे। नरेंद्र बरागटा का पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार चल रहा था। वह कोरोना को मात भी दे चुके थे, लेकिन पिछले करीब 15 दिनों से उनकी हालत गंभीर थी। पीजीआई में इलाज के दौरान शनिवार सुबह उनका निधन हो गया। उनके निधन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री बीते कल उनसे मिलने पीजीआई पहुंचे थे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शोक जताते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि “ये सूचना पाकर मैं स्तब्ध हूं। हमने एक ईमानदार एवं कर्मठ नेता खो दिया है।” बरागटा के आसमयिक निधन की खबर से भाजपा समेत उनके प्रशंसकों और करीबियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। हिमाचल भाजपा ने आज प्रदेश में होने वाले अपने सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है।
चंडीगढ़ PGI में चल रहा था इलाज
नरेंद्र बरागटा के निधन की ख़बर उनके बेटे चेतन बरागटा ने फेसबुक पर दी। चेतन बरागटा ने फेसबुक पर एक संदेश पोस्ट किया है, जिसमें लिखा है, “मेरे पिता व हम सभी के प्रिय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार में मुख्य सचेतक सम्मानीय श्री नरेन्द्र बरागटा जी स्वास्थ्य से सम्बंधित लम्बे संघर्ष के बाद अपने जीवन की अंतिम लड़ाई हार गए। मेरे परिवार के सदस्यों समान समस्त समर्थकों,कार्यकर्ताओं को बड़े दुःखी मन के साथ यह खबर दे रहा हूँ कि श्री नरेन्द्र बरागटा जी अब हमारे मध्य नही रहे। कोविड-19 के चलते तमाम शुभचिंतकों, समर्थकों व कार्यकर्ताओं से निवेदन रहेगा कि धैर्य व सयंम बनाएं रखें। भावभीनी एवं अश्रुपूर्ण यह पल हमारे जीवन के सबसे दुःखदायी क्षण आप सभी के साथ साँझा कर रहा हूँ।”नरेंद्र बरागटानरेंद्र बरागटा के असामयिक निधन से भाजपा ने एक बड़ा नेता खो दिया है। अप्पर शिमला में बागवानी के विकास में नरेंद्र बरागटा का अहम योगदान रहा है। उनके निधन से जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में गम का माहौल है।
बरागटा का जन्म 15 सितंबर 1952 को शिमला जिला के जुब्बल-कोटखाई में हुआ था। उनके दो बेटे हैं। बरागटा ने हिमाचल विश्वविद्यालय शिमला से राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की थी। वह भाजपा युवा मोर्चा में कई अहम पदों पर रहे। वर्ष 1993 से 98 तक उन्हें जिला भाजपा का सचिव बनाया गया। पहली बार वह वर्ष 1998 में शिमला शहर से विधायक बने। इसके बाद अपने गृह क्षेत्र जुब्बल कोटखाई से वर्ष 2007 में विधायक बने। तब प्रदेश में भाजपा सरकार थी और उन्हें बागवानी मंत्री बनाया गया। वर्ष 2017 में वह जुब्बल-कोटखाई से फिर विधायक चुने गए। प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार ने सितंबर 2018 में उन्हें विधानसभा में केबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा देते हुए मुख्य सचेतक बनाया था