जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान ने कहा हैं कि जिन खाद्यानों की कीमतें पिछले 60 वर्षों ने निम्नतम स्तर पर थी वह केवल पिछले सात वर्षों में दुगने से भी ज्यादा हो चुकी है।
यदि हम पिछले 7 वर्षों में देखे और कोरोना काल में महंगे किराना सामान की कीमतों ने आम लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ा रखी है। लगातार बढ़ रही सरसों तेल और रिफाइन की कीमत ने घर का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। चीनी, चावल, आटा और दाल के भाव में भी इजाफा से खरीदार से लेकर गृहिणी तक परेशान हैं। कोरोना काल में आर्थिक संकट झेल रहे लोग महंगाई की मार से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। खासकर गरीब और मध्यवर्गीय के लोंगो का जीना मुहाल हैं। अगर खाद्यानों के ताजा आकड़ो पर नज़र डालें तो जनवरी में 145, अप्रैल में 175 और मई में 200 रुपए किलो हो गया सरसों तेल। वहीं रिफाइन 130 से 145 रुपए और अब 160 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
दो माह में दाल की कीमत 20 प्रतिशत से ज्यादा में वृद्धि हुई है। मार्च-अप्रैल में 70 रुपए किलो बिकने वाला मसूर व चना दाल 85रुपए हो गया है। मूंग दाल से 100 से बढ़कर 115 हो गया है। इसी तरह चीनी की कीमत 37-38 से बढ़कर 40- 42 रुपए प्रतिकिलो हो गया है। चावल की कीमत में पांच रुपए किलो तक का इजाफा हुआ है। चायपत्ती की कीमत में पहले ही प्रतिकिलो करीब 80 से 100 तक वृद्धि हुई है।
इसके ऊपर डीजल की कीमत बढ़ने से ट्रांसपोर्टिंग खर्च बढ़ जाने के कारण हर तरह के खाद्यान्न की कीमत में बढ़ी है। ऐसे में लगातार बढ़ रही कीमत से घर चलाना हुआ मुश्किल हो गया है। ऐसे में जो लोग आज़ादी के बाद से 60 वर्ष में देश की अर्थिकि और कीमतों के बारे में बात करते थे वह कृपया बताएं कि पिछले केवल 7 वर्षों में जो खाद्यानों की कीमतों में वृद्वि हुई है उसके बारे में आपके क्या विचार है और ऊपर से कोरोना महामारी की मार।
आदर सहित
संदीप सांख्यान
महासचिव, जिला कांग्रेस
बिलासपुर (हि.प्र)