हिमाचल। कोरोना वायरस के बाद ब्लैक फंगस के मामले लगातार मिल रहे हैं जिसे अब कई राज्यों में महामारी घोषित कर दिया गया है।
एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि ब्लैक फंगस एक अलग फैमिली है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कम होती है उनमें म्यूकर माइकोसिस ज्यादा देखने को मिल रहा है।
ये मुख्यत: साइनस में पाया जाता है। कभी-कभी ये Lungs में भी पाया जाता है। डॉ रणदीप गुलेरिया ने आगे बताया कि ब्लैक फंगस म्यूकर माइकोसिस प्राइवेट पार्ट में भी फंगल इन्फेक्शन फैला सकता है। उन्होंने कहा कि म्यूकर माइकोसिस मुख्य रूप से मिट्टी में पाया जाता है। ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। जिन्हें स्टेरॉयड नहीं दिया गया है, उनमें यह संक्रमण बहुत कम देखा गया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन अकेला फैक्टर नहीं है, जिससे ये फैलता है।
डॉ गुलेरिया ने कहा, इसका इलाज लंबा चलता है। इसके लक्षणों में नाक बंद हो जाना. खून आना. नाक से आंख के नीचे सूजन, एक साइड से दर्द होना। सेंसेशन चेहरे पर काम हो जाना। उन्होंने कहा, ये सिपंल टेस्ट है इसे फंगल इन्फेक्शन कहना ज्यादा बेहतर रहेगा।
कोरोना पर जानकारी देते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा, कोरोना के बाद भी कई लक्षण रहते हैं। कई मरीजों को 12 हफ्ते तक कोविड के बाद भी लक्षण रह सकते हैं। जैसे- सांस की तकलीफ, लंग्स सही होने के बाद भी खांसी आती रहती है। छाती में दर्द, घबराहट ये सब पोस्ट कोविड लक्षण हैं। ये लक्षण बॉडी के इम्यून सिस्टम के कारण रह सकते हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोगों को नींद की समस्या हो सकती है इससे डिप्रेशन बढ़ सकता है। इसलिए कोरोना से रिकवर होने वालों का भी ध्यान रखना जरूरी है।
हिम एक्सप्रेस खास रिपोर्ट