कोरोना को नियन्त्रित करने के लिए समय समय पर जारी की गई अधिसूचना एवम एडवाइजरी क्या सिर्फ आम व्यक्तियों तक ही सीमित है या फिर उन केंद्रीय नेताओं पर भी जो सम्बंधित राज्यों में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियों का आयोजन कर रहे हैं।
जहां गृहमंत्री से प्रधानमंत्री तक सम्मिलित हो रहे है।
सरकार दिखावे के लिए तो कानून बना देती है परन्तु जहां उन पर अमल की बात आती है वहां इन नियमो और कानूनो की धज्जियां खुद ही सरकार के नुमाइंदो द्वारा उड़ाई जाती है।
यह बात आप पार्टी के राज्य प्रवक्ता एस एस जोगटा द्वारा प्रेस को जारी ब्यान में कही गई।उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी निगमो के चुनाव कराए गये।परन्तु क्या कोरोना के मामले में सरकार ने खुद बनाये नियमो की अनुपालना इन जिलों में किसने करनी थी? इस प्रकार से जब कानून कि अवेहलना खुद सरकार करवायेगी तो अमल कौन करेगा।दूसरी ओर खबरें यह भी आ रही है कि कोरोना के टिक्के लगने के बाद कई डॉक्टर फिर कोरोना पॉजिटिव हो गये।सरकार और स्वास्थ्य विभाग के ध्यान में अगर यह बात है तो उन्होंने लोगों की शंकाओं को दूर करने और वास्तविकता को अमल में लाने के लिए क्या कोई पग उठाये हैं? अभी तक नही ,न सरकार द्वारा इस बात की कोई पुष्टि की जा रही है और न ही सफाई दी जा रही है कि क्या इन बातों में सच्चाई है?
सरकार लोगों कि चिंताओं को समझने के बजाय उन की सेहत से बेखबर हो कर राजनीतिक उद्देश्यों को ज्यादा प्राथमिकता दे रही है ।ऐसा करना बेशक सरकार की मजबूरी हो परन्तु जो उत्तरदायित्व एक चुनी हुई सरकार का अपनी जनता के प्रति होता है वो उसे वह भूल रही है।
दूसरी तरफ जनता की भी कमी है की उन्हे खुद जागरूक होना चाहिये और जहां सरकार गलत करे उसके लिए उन्हें एहसास कराने के लिए जनता को आगे भी आना चाहिए ।सरकार के सही फैसलों पर संज्ञान लेना और गलत फैसलों का विरोध करना एक लोकतांत्रिक परम्परा है। जिसका निर्वाह हम सभी को करना चाहिए। जिसके लिए हम लोग भी गम्भीर नही जितना होने की आवश्यकता है।
(एसएस जोगटा),
प्रवक्ता,आम आदमी पार्टी,
हिमाचल प्रदेश।