सिविक बॉडीज को वेतन ना देने के लिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
कोर्ट ने कहा है कि हर कर्मचारी का यह अधिकार है कि उसको मेहनत का मेहनताना मिले।
दिल्ली सरकार की दलील जिसमें यह कहा गया कि फंड की कमी के कारण वो सैलरी नहीं दे पा रही पर न्यायधीश विपिन सांघी और रेखा पाली ने सरकार को आड़े हाथों लिया उन्होंने कहा कि हम कोई आईवरी टॉवर पर नहीं रहे हैं जिनको की किसी चीज की जानकारी ना हो।
रोज हम देखते हैं कि हर अखबार के एक पूरे पन्ने पर दिल्ली सरकार के नेताओ के फोटो के साथ विज्ञापन छपे रहते उसके लिए सरकार को पैसा कहां से आ रहा है अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो।
साथ ही जजेस ने कहा कि विज्ञापन लगाने से कहीं ज्यादा अगर लोगों का वेतन समय पर देंगे तो सरकार की ज्यादा वाहवाही होगी।
अगर आप लगातार विज्ञापन दे सकते हैं और कर्मचारियों का पैसा नहीं दे सकते यह एक तरह का प्रोपगेंडा है और क्यों ना इसको क्रिमिनल की कैटेगरी में शामिल किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि हर कर्मचारी को समय पर वेतन मिलना चाहिए ऐसे मामले कोर्ट पहुंचने ही नहीं चाहिए। यह मूल अधिकारों में शामिल है।
इसलिए हम ऐसा कोई भी ऑर्डर पास नहीं करेंगे जिससे संविधान में दिए गए लोगों के अधिकारों का हनन हो।