जनजातीय जिला लाहुल स्पीति के किसानों के खेत में हींग के पौधे आंकुरित हुए हैं। घाटी के सात किसानों के पांच बीघा भूमि में पहली बार हींग की खेती की जा रही है। हींग के पौधे आंकुरित होने से खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने के संकेत मिले हैं।
भारत में पहली बार किसानों के खेत में हींग के पौधे अंकुरित हुए हैं। पौधे आंकुरित होने की खबर सुनकर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक और हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के निदेशक चार अप्रैल को लाहुल घाटी के दौरे पर पहुंच रहे हैं। लाहुल घाटी के मडग्रां के दो, केलंग के दो, बिलिंग से एक व कवरिंग के दो किसानों के खेतों से हींग की खेती की शुरूआत हुई है।
हिमालय जैवसंपदा प्रोद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों के सालों की मेहनत रंग लाई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत में हींग को किसानों में अपने खेतों में अंकुरित किया है। हालांकि आइएचबीटी के वैज्ञानिक लैब में अफगानिस्तान से लाए गए हींग के बीज से पनीरी तैयार करने में सालों से जुटे थे। लेकिन लैब में तैयार किए गए पनीरी को पहली बार खेतों में अंकुरित किया गया है। अब देश में हींग की खेती की संभावना और बढ गई है। घाटी में जमीन से बर्फ पिघलने के बाद इसके नीचे हींग के पौधे अंकुरित होने की खबर से किसानों में बेहद खुशी है।
हींग की पनीरी अंकुरित होने से यह दावा और पुख्ता हो गया है कि लाहौल घाटी की आवोहवा हींग की पैदावार के लिए बिलकुल माकूल है। क्वारिंग गांव के किसान रिगजिन हायरपा ने हींग के पौधे अंकुरित होने की सूचना कृषि विभाग को दी है। औषधीय गुणों से भरपुर हींग को अब भारत में ही व्यापक स्तर पर पैदा करने का रास्ता खुल गया है। भारत में दुनिया में तैयार होने वाले हींग की करीब 50 फीसदी खपत होती है।
हींग की खेतीं करने वाले किसान रिगजिन हायरपा ने बताया कि समुद्र तल से लगभग 11 हजार फुट की उंचाई पर लाहुल के गेमूर गांव में 17 अक्तूबर को देश में सबसे पहले हींग के पनीरी को बीजा गया था। अफगानिस्तान से लाए गए हींग के बीज का पालमपुर स्थित आइएचबीटी की लैब वैज्ञानिक तरीके से पौधा तैयार किया गया था। संस्थान टायल के तौर पर सबसे पहले लाहुल स्पीति को चुना।
देश में सलाना हींग की खपत करीब 1200 टन है। भारत अफगानिस्ता ने 90, उज्वेकिस्तान से 8 और ईरान से 2 फीसदी हींग का हर साल आयात करता है। हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान होना जरूरी है। लाहुल में ट्रायल के तौर पर क्वारिंग, मडग्रां, बीलिंग और केलांग में हींग को रोपा गया है।
पांच साल में तैयार होता है हींग
आइएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक अशोक कुमार का कहना है कि हींग की फसल 5 साल में तैयार होती है। इसकी जड़ पूरी तरह तैयार होने पर ही बीज तैयार होते हैं।
हींग का अंकुरित होना बडी कामयाबी-अंजू
कृषि विभाग में तैनात एडीओ अंजू का कहना है कि हींग के डोरमेटी प्लांट का अंकुरित होना साबित करता है कि लाहौल की आवोहवा हींग उत्पादन के लिए उपयुक्त है। कहा कि क्वारिंग की तरह बीलिंग गांव में भी हींग के पौधे अंकुरित हुए हैं।